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इमामे-आज़म की नसल (लावी का क़बीला)

1 लावी के बेटे जैरसोन, क़िहात और मिरारी थे। 2 क़िहात के बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे।

3 अमराम के बेटे हारून और मूसा थे। बेटी का नाम मरियम था। हारून के बेटे नदब, अबीहू, इलियज़र और इतमर थे।

4 इलियज़र के हाँ फ़ीनहास पैदा हुआ, फ़ीनहास के अबीसुअ, 5 अबीसुअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, 6 उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, ज़रख़ियाह के मिरायोत, 7 मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, 8 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़, 9 अख़ीमाज़ के अज़रियाह, अज़रियाह के यूहनान 10 और यूहनान के अज़रियाह। यही अज़रियाह रब के उस घर का पहला इमामे-आज़म था जो सुलेमान ने यरूशलम में बनवाया था। 11 उसके हाँ अमरियाह पैदा हुआ, अमरियाह के अख़ीतूब, 12 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के सल्लूम, 13 सल्लूम के ख़िलक़ियाह, ख़िलक़ियाह के अज़रियाह, 14 अज़रियाह के सिरायाह और सिरायाह के यहूसदक़। 15 जब रब ने नबूकदनज़्ज़र के हाथ से यरूशलम और पूरे यहूदाह के बाशिंदों को जिलावतन कर दिया तो यहूसदक़ भी उनमें शामिल था।

लावी की औलाद

16 लावी के तीन बेटे जैरसोम, क़िहात और मिरारी थे। 17 जैरसोम के दो बेटे लिबनी और सिमई थे। 18 क़िहात के चार बेटे अमराम, इज़हार, हबरून और उज़्ज़ियेल थे। 19 मिरारी के दो बेटे महली और मूशी थे।

ज़ैल में लावी के ख़ानदानों की फ़हरिस्त उनके बानियों के मुताबिक़ दर्ज है।

20 जैरसोम के हाँ लिबनी पैदा हुआ, लिबनी के यहत, यहत के ज़िम्मा, 21 ज़िम्मा के युआख़, युआख़ के इद्दू, इद्दू के ज़ारह और ज़ारह के यतरी।

22 क़िहात के हाँ अम्मीनदाब पैदा हुआ, अम्मीनदाब के क़ोरह, क़ोरह के अस्सीर, 23 अस्सीर के इलक़ाना, इलक़ाना के अबियासफ़, अबियासफ़ के अस्सीर, 24 अस्सीर के तहत, तहत के ऊरियेल, ऊरियेल के उज़्ज़ियाह और उज़्ज़ियाह के साऊल। 25 इलक़ाना के बेटे अमासी, अख़ीमोत 26 और इलक़ाना थे। इलक़ाना के हाँ ज़ूफ़ी पैदा हुआ, ज़ूफ़ी के नहत, 27 नहत के इलियाब, इलियाब के यरोहाम, यरोहाम के इलक़ाना और इलक़ाना के समुएल। 28 समुएल का पहला बेटा योएल और दूसरा अबियाह था।

29 मिरारी के हाँ महली पैदा हुआ, महली के लिबनी, लिबनी के सिमई, सिमई के उज़्ज़ा, 30 उज़्ज़ा के सिमआ, सिमआ के हज्जियाह और हजयाह के असायाह।

लावी की ज़िम्मादारियाँ

31 जब अहद का संदूक़ यरूशलम में लाया गया ताकि आइंदा वहाँ रहे तो दाऊद बादशाह ने कुछ लावियों को रब के घर में गीत गाने की ज़िम्मादारी दी। 32 इससे पहले कि सुलेमान ने रब का घर बनवाया यह लोग अपनी ख़िदमत मुलाक़ात के ख़ैमे के सामने सरंजाम देते थे। वह सब कुछ मुक़र्ररा हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे। 33 ज़ैल में उनके नाम उनके बेटों के नामों समेत दर्ज हैं।

क़िहात के ख़ानदान का हैमान पहला गुलूकार था। उसका पूरा नाम यह था : हैमान बिन योएल बिन समुएल 34 बिन इलक़ाना बिन यरोहाम बिन इलियेल बिन तूख़ 35 बिन सूफ़ बिन इलक़ाना बिन महत बिन अमासी 36 बिन इलक़ाना बिन योएल बिन अज़रियाह बिन सफ़नियाह 37 बिन तहत बिन अस्सीर बिन अबियासफ़ बिन क़ोरह 38 बिन इज़हार बिन क़िहात बिन लावी बिन इसराईल।

39 हैमान के दहने हाथ आसफ़ खड़ा होता था। उसका पूरा नाम यह था : आसफ़ बिन बरकियाह बिन सिमआ 40 बिन मीकाएल बिन बासियाह बिन मलकियाह 41 बिन अत्नी बिन ज़ारह बिन अदायाह 42 बिन ऐतान बिन ज़िम्मा बिन सिमई 43 बिन यहत बिन जैरसोम बिन लावी।

44 हैमान के बाएँ हाथ ऐतान खड़ा होता था। वह मिरारी के ख़ानदान का फ़रद था। उसका पूरा नाम यह था : ऐतान बिन क़ीसी बिन अबदी बिन मल्लूक 45 बिन हसबियाह बिन अमसियाह बिन ख़िलक़ियाह 46 बिन अमसी बिन बानी बिन समर 47 बिन महली बिन मूशी बिन मिरारी बिन लावी।

48 दूसरे लावियों को अल्लाह की सुकूनतगाह में बाक़ीमाँदा ज़िम्मादारियाँ दी गई थीं।

49 लेकिन सिर्फ़ हारून और उस की औलाद भस्म होनेवाली क़ुरबानियाँ पेश करते और बख़ूर की क़ुरबानगाह पर बख़ूर जलाते थे। वही मुक़द्दसतरीन कमरे में हर ख़िदमत सरंजाम देते थे। इसराईल का कफ़्फ़ारा देना उन्हीं की ज़िम्मादारी थी। वह सब कुछ ऐन उन हिदायात के मुताबिक़ अदा करते थे जो अल्लाह के ख़ादिम मूसा ने उन्हें दी थीं।

50 हारून के हाँ इलियज़र पैदा हुआ, इलियज़र के फ़ीनहास, फ़ीनहास के अबीसुअ, 51 अबीसुअ के बुक़्क़ी, बुक़्क़ी के उज़्ज़ी, उज़्ज़ी के ज़रख़ियाह, 52 ज़रख़ियाह के मिरायोत, मिरायोत के अमरियाह, अमरियाह के अख़ीतूब, 53 अख़ीतूब के सदोक़, सदोक़ के अख़ीमाज़।

लावियों की आबादियाँ

54 ज़ैल में वह आबादियाँ और चरागाहें दर्ज हैं जो लावियों को क़ुरा डालकर दी गईं।

क़ुरा डालते वक़्त पहले हारून के बेटे क़िहात की औलाद को जगहें मिल गईं। 55 उसे यहूदाह के क़बीले से हबरून शहर उस की चरागाहों समेत मिल गया। 56 लेकिन गिर्दो-नवाह के खेत और देहात कालिब बिन यफ़ुन्ना को दिए गए। 57 हबरून उन शहरों में शामिल था जिनमें हर वह पनाह ले सकता था जिसके हाथों ग़ैरइरादी तौर पर कोई हलाक हुआ हो। हबरून के अलावा हारून की औलाद को ज़ैल के मक़ाम उनकी चरागाहों समेत दिए गए : लिबना, यत्तीर, इस्तिमुअ, 58 हौलून, दबीर, 59 असन, और बैत-शम्स। 60 बिनयमीन के क़बीले से उन्हें जिबऊन, जिबा, अलमत और अनतोत उनकी चरागाहों समेत दिए गए। इस तरह हारून के ख़ानदान को 13 शहर मिल गए।

61 क़िहात के बाक़ी ख़ानदानों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दस शहर मिल गए।

62 जैरसोम की औलाद को इशकार, आशर, नफ़ताली और मनस्सी के क़बीलों के 13 शहर दिए गए। यह मनस्सी का वह इलाक़ा था जो दरियाए-यरदन के मशरिक़ में मुल्के-बसन में था।

63 मिरारी की औलाद को रूबिन, जद और ज़बूलून के क़बीलों के 12 शहर मिल गए।

64-65 यों इसराईलियों ने क़ुरा डालकर लावियों को मज़कूरा शहर दे दिए। सब यहूदाह, शमौन और बिनयमीन के क़बायली इलाक़ों में थे।

66 क़िहात के चंद एक ख़ानदानों को इफ़राईम के क़बीले से शहर उनकी चरागाहों समेत मिल गए। 67 इनमें इफ़राईम के पहाड़ी इलाक़े का शहर सिकम शामिल था जिसमें हर वह पनाह ले सकता था जिससे कोई ग़ैरइरादी तौर पर हलाक हुआ होता था, फिर जज़र, 68 युक़मियाम, बैत-हौरून, 69 ऐयालोन और जात-रिम्मोन। 70 क़िहात के बाक़ी कुंबों को मनस्सी के मग़रिबी हिस्से के दो शहर आनेर और बिलाम उनकी चरागाहों समेत मिल गए।

71 जैरसोम की औलाद को ज़ैल के शहर भी उनकी चरागाहों समेत मिल गए : मनस्सी के मशरिक़ी हिस्से से जौलान जो बसन में है और अस्तारात। 72 इशकार के क़बीले से क़ादिस, दाबरत, 73 रामात और आनीम। 74 आशर के क़बीले से मिसाल, अब्दोन, 75 हुक़ूक़ और रहोब। 76 और नफ़ताली के क़बीले से गलील का क़ादिस, हम्मून और क़िरियतायम।

77 मिरारी के बाक़ी ख़ानदानों को ज़ैल के शहर उनकी चरागाहों समेत मिल गए : ज़बूलून के क़बीले से रिम्मोन और तबूर। 78-79 रूबिन के क़बीले से रेगिस्तान का बसर, यहज़, क़दीमात और मिफ़ात (यह शहर दरियाए-यरदन के मशरिक़ में यरीहू के मुक़ाबिल वाक़े हैं)। 80 जद के क़बीले से जिलियाद का रामात, महनायम, 81 हसबोन और याज़ेर।

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